चीन सरकार के आदेश के कारण, अति आवश्यक सामान का क्रय करने के लिए प्रचंड भीड !

चीन सरकार ने अपने नागरिकों को जीवनावश्यक वस्तुओं का भंडारण करने का आदेश देने का प्रकरण !

देश में कोरोना-बाधित रोगियों की संख्या में बडी गिरावट !

विगत २४ घंटे में, १५ सहस्र २१ रोगी कोरोना मुक्त हुए हैं । देश में इस समय १ लाख ५३ सहस्र ७७६ रोगियों का उपचार चल रहा है ।

रूस में, एक ही दिन में ३५ हजार ६६० लोग कोरोना से बाधित !

रूस के ८५ प्रांतों में, एक ही दिन में कुल ३५ हजार ६६० नये कोरोनो बाधित रोगियों का निदान किया गया है, ऐसा रूसी प्रशासन ने सूचित किया है । रूस का रोगी वृद्धि दर ०.४३ प्रतिशत है ।

चीन में कोरोना के केवल १३ रोगी मिलते ही पाठशालाएं बंद, तो हवाई जहाज के आवर्तन निरस्त !

कोरोना के अत्यल्प रोगी मिलते ही कठोर कदम उठा रहे चीन से भारत कब सीखेगा ?

भारत में हुआ १०० करोड नागरिकों का वैक्सिनेशन !

अन्य देशों में अभी तक ५० करोड भी वैक्सिनेशन पूर्ण नहीं हुआ है । अमेरिका में ४१ करोड वैक्सिनेशन हुआ है । इसके बाद ब्राजील में २६ करोड वैक्सिनेशन हुआ है ।

भारत में २ से १८ वर्ष के बच्चों के लिए ‘कोवैक्सीन’ वैक्सीन को केंद्र सरकार की मान्यता

अमेरिका, सिंगापुर सहित विश्व के २० देशों ने इसके पहले ही छोटे बच्चों को कोरोना की वैक्सीन देना प्रारंभ किया है ।

भारत का ‘जैसे को तैसा’ उत्तर के बाद ब्रिटेन की ओर से भारतीयों को १० दिन क्वॉरेंटाइन रहने का नियम रहित !

‘नाक दबाने से मुंह खुलता है’, इसका यह उत्तम उदाहरण है ! भारत यदि ऐसी नीति हमेशा अपनाता है, तो भारत को महासत्ता बनने में देर नहीं लगेगी !

देश में कोरोना से मृत होने वालों के परिवारों को ५० सहस्र रुपए की क्षतिपूर्ति राशि दें ! – सर्वोच्च न्यायालय

देश में कोरोना से मृत होने वालों के परिवारों को ५० सहस्र रुपए देने का आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को दिया है । न्यायालय ने ३० दिनों में इस राशि का भुगतान करने के लिए कहा है ।

गर्भावस्था में निराशा से माता-पिता के कारण बच्चों में भी होती है मानसिक बीमारी ! – ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के मानसिक उपचार विशेषज्ञों का अध्ययन

लंदन (ब्रिटेन) – गर्भावस्था के समय जो महिलाएं निराश रहती हैं उनके बच्चों की मानसिक स्थिति पर बुरा परिणाम होता है । ये बच्चे बडे़ होने पर उनमें निराशा की मात्रा अन्य बच्चों की तुलना में अधिक होती है, ऐसा ब्रिस्टल विश्वविद्यालय के मानसिक उपचार विशेषज्ञों ने एक अध्ययन के आधार पर यह दावा किया है ।

कोरोना प्रतिबंधक टीके फेंकने के प्रकरण में इलाहाबाद उच्च न्यायालय का गंभीर दृष्टिकोण !

प्रतिभू (जमानत) आवेदन का विरोध करते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने बताया कि २ विशेषज्ञ डॉक्टरों ने इस प्रकरण की जांच की है । इस जांच में पाया गया कि परिचारिका ने जानबूझकर कोरोना की बहुमूल्य २९ डोस फेंकी है ।