प्रतिशोध की भूमिका से ‘ईडी’ की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए !

सर्वोच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय (ई.डी.) को लगाई फटकार !

उदयनिधि स्टालिन, प्रियांक खडगे, ए. राजा, निखिल वागळे एवं जितेंद्र आव्हाड पर ‘हेट स्पीच’ का अपराध प्रविष्ट करें !

हिन्दू धर्म के विषय में द्वेषपूर्ण वक्तव्य करने के प्रकरण में दादर पुलिस थाने में परिवाद !

सरकार किसी की भी परंपरा में हस्तक्षेप करने का प्रयास न करे !

देश के हिन्दुओं की अपेक्षा है कि देश के मंदिरों का सरकारीकरण रोक कर सभी मंदिर सरकारीकरण मुक्त करने के लिए केंद्र की भाजपा सरकार को कानून बनाना चाहिए !

तमिलनाडु में ‘प्लास्टर ऑफ पैरिस’की श्री गणेशमूर्ति बनाने पर बंदी कायम !

तमिलनाडु राज्य में ‘प्लास्टर ऑफ पैरिस’की श्री गणेशमूर्ति बनाने पर प्रतिबंध कायम रहेगा, ऐसा आदेश सर्वोच्च न्यायालय ने दिया । मद्रास उच्च न्यायालय ने इससे पूर्व इस पर प्रतिबंध लगाया था । उसके विरोध में सर्वोच्च न्यायालय में आवाहन किया गया था ।

दोषी नेताओं को चुनाव लडने पर आजीवन प्रतिबंध लगाया जाए !

गुनहगार जनप्रतिनिधि जनता क्या कभी कानून का शासन दे पाएंगे ? ऐसे लोगों को चुनाव में खडे रहने का अवसर देना, अर्थात समाज में अराजक फैलाने की अनुज्ञप्ति (लाइसेंस) देने समान है ! यह लोकतंत्र का पराभव है !

आपराधिक प्रकरणों के विषय में पुलिस द्वारा प्रसार माध्यमों को दी गई जानकारी के विषय में नियम तैयार करें !

न्यायालय ने कहा है कि पक्षपातपूर्ण वार्तांकन (रिपोर्टिंग) के कारण लोगों में अपराध करनेवाले व्यक्ति को लेकर संदेहास्पद वातावरण बन जाता है । माध्यमों द्वारा दिए गए समाचारों के कारण पीडिता की निजी बातें भी सामने आ जाती हैं ।

सर्वोच्च न्यायालय ने मणिपुर सरकार से उत्तर मांगा

मणिपुर सरकार ने देश के संपादकों के संगठन ‘एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया’ के विरुद्ध अपराध प्रविष्ट किया है ।

धोखाधडी से हिन्दुओं का धर्मांतर रोकने की मांग करनेवाली याचिका सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अस्वीकार !

याचिका द्वारा इस संदर्भ में केंद्रसरकार से की थी आदेश देने की मांग !

उच्चतम न्यायालय को स्वयं इस विषय पर ध्यान देकर कार्यवाही करनी चाहिए !

उदयनिधि के विधान पर पूर्व न्यायाधीश, सरकारी अधिकारियों सहित २६२ लोगों ने की उच्चतम न्यायालय से मांग

इससे आगे फांसी के दंड के लिए दया-याचिका पर राष्ट्रपति का निर्णय ही अंतिम रहेगा !

अपराधियों की दया याचिका पर राष्ट्रपति का निर्णय ही अंतिम रहेगा । राष्ट्रपति द्वारा लिए गए निर्णय को देश के किसी भी न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती ।