गोपालन का महत्त्व !

पृथ्वी, आप, तेज, वायु एवं आकाश इन पंचमहाभूतों के आधार से सृष्टि की उत्पत्ति हुई और उसका चलन भी चल रहा है । गाय इन पंचमहाभूतों की माता है । काल के प्रवाह में उसकी ही अवहेलना होने से आज सर्वत्र सभी प्रकार का गंभीर प्रदूषण बढा है ।

गोहत्या रोकिए और हिन्दू धर्म की रक्षा कीजिए !

आज देश के ३६,००० पशुवधगृहों में गोवंश की हत्या की जाती है । उसके कारण वर्ष १९४७ में देश में उपलब्ध ९० करोड का गोधन अब केवल १ करोड ही बचा है । हिन्दुओं, इस धर्महानि को रोकने के लिए गोरक्षा कीजिए !

गोहत्या के कारण ही दरिद्रता, अकाल तथा अनाचार में वृद्धि !

स्वतंत्रताप्राप्ति से लेकर आज तक भौतिकवाद के कारण, दैवी विचार शून्य होने के कारण ऋषियों के विचार जिस भूमि से उत्पन्न हुए, वहीं आज वे नष्ट होने के पथ पर होने से निर्धनता, अकाल, अनाचार, भ्रष्टाचार, अनीति, कृत्रिमता, दिखावा तथा भौतिक सुख में वृद्धि होने की लालसा जैसे दुर्गुणों की वृद्धि हुई है ।

गोपालन को प्रोत्साहित करना एक राष्ट्रकार्य ही है !

३३ करोड देवी-देवताओं का जिसमें वास है (देवताओं के तत्त्व आकर्षित करनेवाली), ऐसी गोमाता हिन्दुओं के लिए पूजनीय है । प्रतिदिन गोग्रास देना, मंगलसमय पर गोपूजन, गोदान करने के लिए गोपालन करने का भी प्रयास करें ! अपनी क्षमतानुसार घर में सवत्स गोपालन करें !

गोहत्यासहित राष्ट्र की प्रत्येक समस्या का शाश्वत समाधान – धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र की (आदर्श रामराज्य की) स्थापना !

‘केवल गोहत्याबंदी कानून करना पर्याप्त नहीं है, अपितु देश में गोपालक राज्यकर्ता होना भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है ।’ ऐसे राज्यकर्ता मिलने के लिए धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र नहीं, अपितु धर्माधिष्ठित हिन्दू राष्ट्र ही चाहिए !

गोरक्षा के कार्य का महत्त्व एवं मर्यादाएं

अधिकांश पूर्णकालीन गोरक्षकों को गोरक्षा का कार्य प्रतिदिन ७-८ घंटे का भी नहीं होता । जब गोरक्षा का कार्य नहीं होगा, उस समय उन्होंने हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के लिए कार्य किया, तो उनके परिश्रम सर्वत्र के गायों की रक्षा हेतु सहायक सिद्ध होंगे ।

चरकसंहिता के अनुसार गोमांस खाना निषिद्ध ही है !

जो बीमारियां गोमांस खाने से ठीक होती हैं, ऐसा बताया गया है; उन बीमारियों में चरकसंहिता में अन्य असंख्य औषधियां बताई गई हैं । तो उन औषधियों को छोडकर कौन मूर्ख स्वास्थ्य के लिए अहितकारी गोमांस खाएगा ?

संविधान में स्थित हिन्दू विरोधी अनुच्छेद २८ और ३० रद्द कीजिए !

‘अनुच्छेद ३०’ के अनुसार मुसलमान और ईसाई शिक्षासंस्थानों को सरकारी सहायता लेकर धार्मिक शिक्षा देने का अधिकार होना; परंतु हिन्दू धर्मियों पर ‘अनुच्छेद २८’ के अनुसार धार्मिक शिक्षा देने पर प्रतिबंध होना

‘हल्दी’ की फसल का रोपण कैसे करें ?

उचित समय पर हल्दी का रोपण, सुधारित प्रजातियों का उपयोग, जैविक उर्वरकों का प्रचुर मात्रा में उपयोग, उचित समय पर जल प्रबंधन और फसल की सुरक्षा इत्यादि बातों का नियोजन किया जाए, तो निश्चित रूप से किसानों को हल्दी की अच्छी फसल मिलेगी ।

नवरात्रीके विविध विधी

जगत्‌का पालन करनेवाली जगत्पालिनी, जगदोद्धारिणी मां शक्तिकी उपासना हिंदु धर्ममें वर्ष में दो बार नवरात्रिके रूपमें, विशेष रूपसे की जाती है ।