शाकाहार एवं सात्त्विक आहार का सेवन करें !

मांसाहार तथा तमोगुणी आहार का सेवन न करें ! : अधिक तले एवं मसालेदार पदार्थ, बासी पदार्थ तथा पोषक-मूल्य रहित एवं पचनेमें भारी पिज्जा, चिप्स, वेफर्स जैसे ‘फास्ट फूड’ का सेवन न करें ।

नामजप के माध्यम से कर्म ‘अकर्म कर्म’ बनना

नामजप के माध्यम से कर्म ‘अकर्म कर्म’ बनने से यथार्थ आचार-पालन कर पाना : दैनिक जीवन का प्रत्येक कृत्य नामजप सहित करनसे वह कर्म ‘अकर्म कर्म’ बनता है । प्रत्येक कृत्य ‘अकर्म कर्म’ हो, तो उसका अच्छा-बुरा कोई भी फल नहीं मिलता । इस प्रकार यथार्थ आचारपालन सम्भव होता है और ईश्वर से एकरूप हो पाते हैं ।

अलंकार धारण करने का महत्त्व व लाभ

सौभाग्यालंकारों के माध्यम से स्त्री को तेजदायी तरंगों का स्पर्श होता है । उन्हें पतिव्रत-धर्म का निरंतर भान रहे, इसके लिए यह व्यवस्था की गई ।

साधना अच्छी होने के लिए आयुर्वेद के अनुसार अध्ययन करने की आवश्यकता

ईश्वरप्राप्ति करने के लिए प्रत्येक साधक को ‘शरीर होगा, तब ही धर्म अथवा साधना करना संभव होता है’, यह सूत्र ध्यान में रखना चाहिए । साधना के लिए शरीर निरोगी चाहिए । इसलिए आयुर्वेदानुसार आचरण करना चाहिए ।

आंखों की सुरक्षा के लिए निम्नांकित बातों पर ध्यान दें !

आंखों पर निरंतर आनेवाले तनाव को कम करने हेतु २०-२०-२० का नियम उपयोग में लाएं, जिससे प्रति २० मिनट उपरांत लगभग २० फुट लंबाईवाली वस्तु की ओर २० सेकेंड तक देखें ।

जीवामृत कैसे बनाएं ?

प्रत्येक पूर्णिमा एवं अमावस्या, इन तिथियों पर फव्वारा करें । एक बार बनाया हुआ जीवामृत २-३ दिनों में उपयोग कर समाप्त करें ।

इस ग्रहणकाल में २४ घंटे कैसे उपवास रखें ?

धर्म के अनुसार आचरण करने से स्वास्थ्य की रक्षा होती है, अतः ८.११.२०२२ के चंद्र ग्रहण के समय धर्मशास्त्रानुसार बिना अन्न ग्रहण किए उपवास कीजिए !

८.११.२०२२ को भारत में दिखाई देनेवाला संपूर्ण चंद्रग्रहण (ग्रस्तोदित), ग्रहण की अवधि, उसके नियम तथा राशि के अनुसार ग्रहण का फल !

यह चंद्रग्रहण भारत में सर्वत्र ग्रस्तोदित स्वरूप में दिखाई देनेवाला है; इसका अर्थ ग्रस्त चंद्रबिंब उदित होगा । उसके कारण भारत में कहीं भी ग्रहणस्पर्श दिखाई नहीं देगा । भारत के पूर्व के कुछ प्रदेशों में संपूर्ण अवस्था दिखाई दे सकती है; परंतु महाराष्ट्र एवं अन्य प्रदेश में यह ग्रहण आंशिक स्वरूप में दिखाई देगा ।’

#Exclusive : कुमकुम लगाने का मह‌त्त्व और वह क्यों लगाएं ?

‘कुमकुम लगाते समय भ्रूमध्य एवं आज्ञाचक्र पर दबाव दिया जाता है एवं वहां के बिंदु दबाए जाने से मुखमंडल के (चेहरे के) स्नायुओं को रक्त की आपूर्ति भली-भांति होने लगती है ।

हिन्दू जनजागृति समिति की यशोगाथा

हिन्दुओं का जाति-दल-संप्रदाय रहित एक विशाल संगठन खडा रहे; इसके लिए समिति ने ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर महानगरों तक १ सहस्र ३०० से अधिक ‘हिन्दू राष्ट्र-जागृति सभाएं’ लीं ।