घोटाले करने वालों को दण्ड कब ?
सहस्रों करोड रुपए के घोटाला प्रकरण में उत्तरदायी प्रत्येक व्यक्ति को दण्ड मिलना आवश्यक !
सहस्रों करोड रुपए के घोटाला प्रकरण में उत्तरदायी प्रत्येक व्यक्ति को दण्ड मिलना आवश्यक !
इस वर्ष हैदराबाद मुक्तिसंग्राम के ७५ वर्ष पूर्ण हो रहे हैं । तत्कालीन निजाम शासन के भाग मराठवाडा की ‘मुक्ति’ का अमृत महोत्सव मनाने के लिए राज्य सरकार ने छत्रपति संभाजीनगर में मंत्री परिषद की विशेष बैठक लेकर ५९ सहस्र करोड रुपए का विशेष ‘पैकेज’ देने की घोषणा की है ।
भारत का इतिहास देखें, तो बडी संख्या में ऐसी महिलाएं हैं जिन्होंने आत्म बल पर सफलता प्राप्त की हैं । ऐसी सक्षम महिलाओं के कारण केवल महिलाएं ही नहीं, अपितु समाज का भी भला हुआ है । इसलिए, यह ध्यान रखना महत्त्वपूर्ण है कि ऐसी निपुण एवं बहु-प्रतिभाशाली महिला केवल राजनीति ही नहीं, अपितु किसी भी क्षेत्र में डंका बजा सकती है !
अलगाववादी एवं राष्ट्रद्रोही विचारधारा वाले स्टेलिन-पुत्र उदयनिधि ने कुछ दिन पूर्व सनातन धर्म पर विषवमन किया था । सनातन धर्मी उसका उचित वैचारिक प्रतिकार ले रहे हैं; किंतु उदयनिधि के प्रशंसक बनकर लोगों द्वारा ‘सनातनी (धर्म) संकट’ शीर्षक से सनातन धर्म का उपहास क्लेशदायी है ।
इसरो की सफलता का श्रेय हथियाने पर तुली कांग्रेस ने अपने शासनकाल में वैज्ञानिक को कारागृह में भेजकर देश की हानि की !
‘चंद्रयान-३’ द्वारा स्थापित रिकॉर्ड ने एक बार पुन: विश्व को भारतीय प्रतिभा की उत्कृष्टता दिखाई ।
सरकार तथा नागरिकों को विदेशी संस्कृति के चिह्न मिटाने का कोई भी अवसर नहीं छोडना चाहिए ! हिन्दू महारक्षा अघाडी द्वारा सामने रखा गया यह सूत्र देशभक्त गोमंतकीय तथा भाजपा सरकार द्वारा अपनाकर भारत के इस भाग से एक और विदेशी जुए को उखाड कर संस्कृति को विकसित करने का प्रयास करेगी !
भारत में हिन्दुओं को सुरक्षित एवं शांति से जीवन जीने के लिए हिन्दू राष्ट्र स्थापित होना आवश्यक !
पाकिस्तान में अभी भी वंश एवं कुल पर आधारित राजनीति का स्वरूप निश्चित होता है । ऐसे देश की जनता अन्न के बिना त्रस्त हो, तो भी वहां के राजनीतिक जनप्रतिनिधियों को उससे लेना-देना नहीं रहता । इमरान खान के दण्ड के उपरांत पाकिस्तान में एक नया अध्याय आरंभ होगा; किंतु वह प्रतिशोध, द्वेष तथा दुर्भावना का होगा ।
अधिवेशन आरंभ होने के पूर्व ही ‘शासन को किन सूत्रों पर घेरना है ?’, यह वे पहले ही निश्चित कर लेते हैं तथा वे ऐसा करते भी हैं । इसलिए यह अधिवेशन ‘सरकार को दुविधा में डालने के लिए है अथवा जनता की समस्याओं का समाधान करने के लिए ?’, यह प्रश्न उठता है ।