सर्वाेत्तम शिक्षा क्या है ?

भौतिक साधनसुविधा अखंड सुख न देते हुए क्षणभंगुर सुख देती हैं और अपनी स्वाभाविक इच्छा ‘अखंड सुख (आनंद) मिले’, होने से भारतीय संस्कृति के दृष्टिकोण से बारंबार आनेवाला सुख भी अंत में दुःखरूप ही होता है ।

मृत्युपरान्त धार्मिक विधियोंका अध्यात्मशास्त्र समझ लें !

श्राद्धविधिसे पितृऋणसे कैसे मुक्त होते हैं ? श्राद्धमें जनेऊ दाहिने कंधेपर क्यों लें ?

पितृपक्ष में श्राद्ध !

हिन्दू धर्मशास्त्र में बताए गए ईश्वरप्राप्ति के मूलभूत सिद्धांतों में से एक है ‘देवऋण, ऋषिऋण, पितृऋण एवं समाजऋण, ये चार ऋण चुकाना’ । इनमें से पितृऋण चुकाने हेतु ‘श्राद्ध’ करना आवश्यक है ।

अतृप्त पूर्वजों से कष्ट के कारण तथा उसका स्वरूप एवं उपाय

वर्तमान काल में पूर्व की भांति कोई श्राद्ध पक्ष इत्यादि नहीं करता और न ही साधना करता है । इसलिए अधिकतर सभी को पितृदोष (पूर्वजों की अतृप्ति के कारण कष्ट) होता है ।

हिन्दू धर्म में छोटे बच्चों का श्राद्धकर्म न करने के कारण

छोटे बच्चों की मृत्यु के पश्चात उनके श्राद्धकर्म के समय पिंडदान के पश्चात उन्हें केवल मंत्रपूर्वक अन्न का निवाला ही दिया जाता है, जिसे ‘प्रकीर’ कहा जाता है । इस जन्म में ऐसे छोटे जीव के मन पर किसी भी प्रकार के संस्कार न होने से ईश्वर द्वारा उस जीव के लिए यह व्यवस्था की गई है ।

पूर्वजों के कष्ट दूर होने हेतु पितृपक्ष में नामजप, प्रार्थना और श्राद्धविधि करें !

आजकल अनेक साधकों को अनिष्ट शक्तियों के कष्ट हो रहे हैं । पितृपक्ष के काल में (२१ सितंबर से ६ अक्टूबर २०२० की अवधि में) इन कष्टों में वृद्धि होने से इस कालावधि में प्रतिदिन न्यूनतम १ घंटा ‘ॐ ॐ श्री गुरुदेव दत्त ॐ ॐ’ नामजप करें ।

साधनाके तीन प्रकार

‘इंद्रियां श्रेष्ठ कही जाती हैं । इंद्रियोंसे मन श्रेष्ठ है । मनसे बुद्धि श्रेष्ठ है । जो बुद्धिसे श्रेष्ठ है, वह आत्मा (ब्रह्म) है ।’

सनातन के रामनाथी (गोवा) स्थित आश्रम हेतु बिजली पर चलनेवाले दो पहिया वाहनों की आवश्यकता !

संस्था का कार्य अर्पणदाता, शुभचिंतक, विज्ञापनदाताओं द्वारा दिए गए अर्पण पर चलता है । वर्तमान में पेट्रोल के मूल्य में वृद्धि हुई है । इसलिए पेट्रोल पर चलनेवाले दो पहिया वाहन का उपयोग करना खर्चीला हो गया है ।

देहली, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान के धर्मप्रेमियों के लिए ‘ऑनलाइन शौर्यजागृति व्याख्यानों’ का आयोजन

वर्तमान गंभीर स्थिति को देखते हुए ‘हमें अब जागृत होकर कुछ तो करना चाहिए’, ऐसा लगने लगा है । हिन्दू जनजागृति समिति अत्यधिक उत्तम प्रयास कर रही है ।

हिन्दू धर्म के दुष्प्रचार का विरोध करना हम हिन्दुओं का कर्तव्य है । – पू. नीलेश सिंगबाळ, धर्मप्रचारक, हिन्दू जनजागृति समिति

असम राज्य सरकार द्वारा मंदिरों और पुजारियों के लिए अनुदान देने के निर्णय की प्रशंसा कर आजमगढ से जुडे श्री. अनिल गिरी ने बताया कि ‘यह निर्णय पूरे देश मे लागू होना चाहिए, इस मांग को लेकर सभी को कृतिशील होना चाहिए, मैं समिति के साथ हूं ।’