अमृतपाल गिरफ्तार नहीं, फरार !  

खलिस्तानी संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के मुखिया अमृतपाल सिंह को पंजाब पुलिस ने जालंधर के नकोदरा भाग में पकड लिया है, यह समाचार १८ मार्च को सभी समाचार माध्यमों से प्रसारित हुआ था; परंतु इसकी पुष्टि पुलिस ने नहीं की थी और इनकार भी नहीं किया था ।

पंजाब में दहशत का वातावरण उत्पन्न न हो, इसलिए सरकार प्रयत्न करें !

सरकार को लोकतंत्र में रहनेवालों तथा अपनी बात को प्रस्तुत करनेवालों को असंवैधानिक पद्धति से बंदी बनाने से स्वयं का रोकना चाहिए; क्योंकि पंजाब ने इसके पहले बहुत कुछ सहा है । ऐसा आवाहन श्री अकालतख्त साहिब के जत्थेदार (प्रमुख) ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने किया है

 खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह को बनाया बंदी !

खालिस्तान आंदोलन को कुचलने के लिए बिना रुके पंजाब, देश के अन्य हिस्सों और विदेशों के खालिस्तानियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के प्रयास किए जाने चाहिए !

पंजाब में होने वाले ‘जी-२०’ के सम्मेलन रद्द किए जाने की संभावना !

यदि ऐसा हुआ, तो यह भारत के लिए लज्जास्पद होगा ! भारत खालिस्तानवादियों की ओर गंभीरता से कब देखेगा ? ऐसा प्रश्न निर्माण होता है !

पंजाब के घर-घर में विस्फोटक बनाए जा रहे हैं और इसके विस्फोट में मुख्यमंत्री मान और गृह मंत्री अमित शाह की राजनीतिक हत्या कर दी जाएगी !

खालिस्तानियों के राष्ट्र विरोधी आंदोलन को कुचलने का समय आ गया है, सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए !

खलिस्तानवादी अमृतपाल सिंह पर पंजाब में आक्रमण कर हिंसा फैलाने का षडयंत्र रचने का आरोप !

खलिस्तानवादी वारिस पंजाब दे संगठन का प्रमुख अमृतपाल सिंह के माध्यम से पंजाब में हिंसाचार फैलाने का षडयंत्र अन्य खालिस्तानवादी संगठनों ने रची है, यह जानकारी गुप्तचर संस्थाओं ने दी है । इस विषय में राज्य और केंद्र सरकार को सतर्क रहने का आदेश दिया गया है ।

पंजाब के कारावास में सिद्धू मुसेवाला हत्याकांड के आरोपियों में हुई मारपीट में दो लोगों की मृत्यु, जबकि तीसरा घायल

‘आप’ की सत्तावाले पंजाब में सर्वत्र ही कानून तथा सुरक्षा की दुर्गति हो गई है, इस पर ध्यान केंद्रित करते हुए सरकार को अब वहां राष्ट्रपति शासन लागू करना चाहिए !

खालिस्तानी संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह के साथी को पुलिस ने छोडा !

खालिस्तानियों के थाने को हजारों की संख्या में सशस्त्र होकर घेर लेने पर पुलिस ऐसे ही पीछे हट जाएगी, तो खालिस्तानवादियों का मनोबल बढकर राज्य में उनका दहशत निर्माण होने को बढावा मिलनेवाला है । यह रोकने के लिए केंद्र सरकार को अब तो हस्तपेक्ष करना चाहिए !

‘खालिस्तान के हमारे लक्ष्य को वर्जित रुप में न देखें !’ – खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह

खालिस्तानवादी अब खुले रूप से उनके बंटवारे के लक्ष्य को जनसमर्थन पाने का प्रयास कर रहे हैं, यही इससे स्पष्ट होता है ! क्या सरकार अब खालिस्तानी आंदोलन को कुचलेगी ?

खालिस्तान की भावना शाश्वत रहनेवाली है, जिसे आप दबा नहीं सकते !

स्वतंत्र पाकिस्तान बनने के उपरांत आज उनकी क्या स्थिति बन गई है, इसे पाकिस्तान से सहायता लेकर खालिस्तान की मांग करनेवालों को ध्यान में रखना होगा !