स्वार्थी मानव !

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार

सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी

‘पृथ्वी पर सभी प्राणी दूसरों के लिए जीते हैं । पशु-पक्षी, वनस्पति अन्यों को कुछ ना कुछ देते रहते हैं । मानव एकमात्र प्राणी है, जो केवल स्वयं के लिए जीता है । वह प्रकृति पशु-पक्षी एवं वनस्पति से निरंतर कुछ ना कुछ लेता रहता है । मानव के स्वार्थ के कारण ही वह अन्य प्राणियों की तुलना में अधिक दुखी रहता है ।’

✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ʻसनातन प्रभातʼ नियतकालिक