‘माय लॉर्ड’ कहना बंद करने पर अपना आधा वेतन दूंगा !

उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति ने किया अधिवक्ताओं को आवाहन !

न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिंहा

नई देहली – उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति पी. एस. नरसिंहा ने एक सुनवाई के समय उन्हें ‘माय लॉर्ड’ (मेरे स्वामी) यह शब्द ना प्रयोग करने के लिए अधिवक्ताओं को बताया । न्यायमूर्ति ने अधिवक्ताओं से कहा, “आप कितने बार मुझे ‘माय लॉर्ड’ कहेंगे ? आप मुझे माय लॉर्ड कहना बंद करें, नहीं तो मैं गिनना चालू करूंगा । यदि आपने माय लॉर्ड कहना बंद किया, तो मैं अपना आधा वेतन आपको दूंगा । आप माय लॉर्ड के स्थान पर मुझे सर क्यों नहीं कहते ?” इसके पूर्व देहली उच्च न्यायालय के निवृत्ति न्यायमूर्ति रवींद्र भट्ट और मुरलीधर इसी प्रकार मद्रास उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति चंद्रू ने अपने कक्ष के बाहर माय लॉर्ड शब्द का प्रयोग न करने की सूचना लिखी थी ।

ब्रिटिश समय से हो रहा है प्रयोग ! 

ब्रिटिश समय से न्यायमूर्तियों को ‘माय लॉर्ड’ कहने की परंपरा है । वर्ष २००६ में भारतीय विधिज्ञ परिषद ने प्रस्ताव पारित कर इस शब्द पर प्रतिबंध लगाया था । यह निर्णय भारतीय राजपत्र में भी प्रकाशित किया गया था । तो भी अभी तक इस शब्द का प्रयोग किया जा रहा है । फिल्मों में भी इसका प्रयोग किया जाता है ।

संपादकीय भुमिका

ऐसे शब्दों पर अभी तक आधिकारिक रूप से प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया गया ?