सुनवाई के समय गुजरात उच्च न्यायालय ने दिया स्कंद पुराण का संदर्भ  !

कर्णावती (गुजरात) – गुजरात उच्च न्यायालय ने एक घटना की सुनवाई करते समय स्कंद पुराण का संदर्भ दिया । अल्पायु लडकी का बलात्कार होने के पश्चात वह गर्भवती हो गई । उसके माता-पिता उसका गर्भपात करवाना चाहते थे । किंतु न्यायालय ने इस घटना की सुनवाई करते समय निर्णय दिया कि लडकी के माता-पिता गर्भपात के लिए उस पर दबाव नहीं डाल सकते; यदि लडकी को गर्भपात कराने की इच्छा है, तो वह गर्भपात करा सकती है । न्यायमूर्ति समीर दवे ने इस सुनवाई के समय पहले मनुस्मृति का भी उल्लेख किया था ।

न्यायमूर्ति दवे ने आगे यह भी कहा कि भारतीय संस्कृति में मां का स्तर सबसे ऊपर है । स्कंद पुराण में भी कहा गया है,

‘नास्ति मातृसमा छाया नास्ति मातृसमा गतिः।
नास्ति मातृसमं त्राणं नास्ति मातृसमा प्रपा॥’

 (स्कंद पुराण, अध्याय ६, १०३-१०४)

(अर्थ : मातासमान छाया नहीं, आधार नहीं, मां समान सुरक्षा नहीं । मां समान अन्य कोई भी जीवनदाता नहीं है । ) अर्थात मां के समान कोई भी जीवन नहीं दे सकता । मां के आंचल समान सुरक्षा का भाव अन्य कोई भी नहीं दे सकता ।