समाजव्यवस्था उत्तम रहने के लिए धर्म का आचरण होना आवश्यक ! – आनंद जाखोटिया, हिन्दू जनजागृति समिति

(बाईं ओर से) हिन्दु जनजागृति समिति के मध्यप्रदेश एवं राजस्थान राज्य समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया, सुप्रसिद्ध प्रवचनकार साध्वी प्रज्ञा भारती, जगद्गुरु रामानंदाचार्य श्री स्वामी करपात्रीजी महाराज (दाईं ओर) आचार्य राजेश्‍वर

जयपुर (राजस्थान) – ‘‘हमारे यहां वेदों में धर्म है, तो उपनिषदों में अध्यात्म है । माथे पर तिलक लगाना चाहिए, ऐसे धर्म कहता है, तथा तिलक लगाने से आज्ञाचक्र जागृत होता है, इस प्रकार आत्मा से संबंधित विज्ञान अंतर्भूत अध्यात्म कहता है । आद्य शंकराचार्यजीने कहा था, ‘व्यक्ति की व्यावहारिक एवं आध्यात्मिक उन्नति होने के लिए तथा समाजव्यवस्था उत्तम बनाए रखने लिए धर्म आवश्यक है ।’ चाणक्य कहते हैं, ‘सुख का मूल धर्म है ।’ इसलिए सुखी जीवन के लिए एवं समाजव्यवस्था आदर्श तथा उत्तम रहने के लिए धर्म का आचरण करना आवश्यक है’’, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के मध्य प्रदेश व राजस्थान राज्य समन्वयक श्री. आनंद जाखोटिया ने किया । वे जयपुर में आयोजित ‘ज्ञानम्’ महोत्सव में ‘धर्म-अध्यात्म : भारतवर्ष का मूल प्राण’ विषय पर हो रहे परिसंवाद में बोल रहे थे । इस परिसंवाद में जगद्गुरु रामानंदाचार्य श्री स्वामी करपात्रीजी महाराज और देहली की सुप्रसिद्ध प्रवचनकार साध्वी प्रज्ञा भारती सहभागी हुई थीं । कार्यक्रम का संचालन आचार्य राजेश्वर ने किया ।

सौजन्य: CityLive

१. इस समय जगद्गुरु रामानंदाचार्य करपात्रीजी महाराज ने कहा कि ‘‘विश्व आज चंद्र पर जा रहा है; परंतु प्राचीन काल में यमलोक जाकर पति के प्राण वापस लानेवाली सती सावित्री भारत में थीं । धर्माचरण में इतनी शक्ति है कि आपको परलोक जाने के लिए किसी यान की आवश्यकता नहीं है ।’’

२. साध्वी प्रज्ञा भारती ने कहा कि ‘‘धर्मश्रद्धा से धर्म के प्रति अभिमान निर्माण होता है और धर्मश्रद्धा धर्माचरण से अनुभूति होने पर निर्माण होती है । इसलिए सकल हिन्दू समाज को धर्माचरण करना आवश्यक है ।’’