१. छत्रपति शिवाजी महाराज ने यह सिद्ध कर दिखाया है कि ‘हिन्दू राष्ट्र’ स्थापित कर सभी जाति-पंथों का परमकल्याण साधा जा सकता है । अतः यदि ऐसा परिवर्तन हिन्दू राष्ट्र की स्थापना के कारण होता होगा, तो उसमें आपत्तिजनक क्या है ?
२. पोप जॉन पॉल (द्वितीय) १९९९ में भारत की यात्रा पर आए थे । उस समय उन्होंने कहा था कि ‘संपूर्ण भारत को ईसाई बनाना है ।’ इस वक्तव्य को आज तक किसी ने असंवैधानिक क्यों नहीं माना ?
३. अत्यंत विकसित और लोकतांत्रिक देश होते हुए भी इंग्लैंड एक ‘ईसाई’ राष्ट्र हो सकता है; तो ८० प्रतिशत हिन्दू जनसंख्यावाला भारत देश ‘हिन्दू राष्ट्र’ क्यों नहीं बन सकता ?
४. पाकिस्तान और बांग्लादेश के संविधान में ‘इस्लामिक रिपब्लिक’ लिखा है; तो भारत के संविधान में ‘हिन्दू गणराज्य’ शब्द क्यों नहीं लिखा जा सकता ? जब इस्लामी राष्ट्रों में हिन्दू रह सकते हैं; तो ‘हिन्दू राष्ट्र में मुसलमान एवं ईसाई नहीं रह सकते’, ऐसा कभी हो सकता है क्या ?
५. स्वाधीनता के समय भारत में रहनेवाले तत्कालीन मुसलमानों ने अपने लिए धर्म पर आधारित इस्लामी राष्ट्र अर्थात पाकिस्तान मांग लिया । उसके अनुसार शेष भारत हिन्दुओं का ‘हिन्दू राष्ट्र’ ही होना चाहिए था । हिन्दुओं द्वारा हिन्दू राष्ट्र की स्वाभाविक मांग, अपराध कैसे हो सकती है ?
६. कल यदि ‘आइएसआइएस’ के आतंकवादी भारत पर आक्रमण कर इसे ‘इस्लामिक राष्ट्र’ घोषित कर दें, तो हिन्दू कहां जाएंगे ? संसार में हिन्दुओं का एक भी देश नहीं है !’ (१९.१०.२०१५)