दीप जलाने का आध्‍यात्मिक महत्त्व

१. हिन्‍दू तेज-तत्त्व के उपासक हैं । इसलिए, दीपावली में दीप जलाकर अग्‍निनारायण की उपासना की जाती है ।
२. दीपावली काल में सूर्य दक्षिणायन रहते हैं । इसलिए, सूर्यास्‍त शीघ्र होकर धरा पर अंधेरा फैल जाता है । अज्ञान के प्रतीक इस अंधकार का नाश कर ज्ञान का प्रतीक तेज प्रक्षेपित करने के लिए दीपावली काल में सर्वत्र दीप जलाते हैं ।
३. तेल में रजोगुण होता है । इसलिए, तेल के दीप जलाने पर उनकी ज्‍योति से सत्त्वगुण की प्रधानतावाली तेजतत्त्व की रजोगुणी तरंगें सर्वत्र फैलती हैं । ऐसे दीप के संपर्क में आनेवाले जीवों को सत्त्वगुण की प्रधानतावाली रजोगुणी तेजतत्त्वात्‍मक ऊर्जा प्राप्‍त होती है । इस ऊर्जा के बल पर साधना करने में सहायता होती है ।
४. दीप जलाने पर उसकी ज्‍योति से सात्त्विक ऊर्जा, चैतन्‍य एवं आनंद की तरंगों का प्रक्षेपण होता है, जिससे वातावरण शुद्ध होता है ।
५. दीपदान से घर में लक्ष्मी ठहरती हैं । दीप-प्रज्‍वलन से घर में सुख-समृद्धि आती है ।
६. दीप प्रज्‍वलन से हमारा जीवन तेजोमय एवं आनंदमय बनता है ।
७. लक्ष्मी, अर्थात सात्त्विक संपदा एवं प्रकाशरूपी ज्ञान प्राप्‍त करने के लिए प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति दीपावली का उत्‍सव आनंदपूर्वक मनाए ।
– कु. मधुरा भोसले (सूक्ष्म से प्राप्‍त ज्ञान), सनातन आश्रम, रामनाथी, गोवा.
(३.१०.२०१७ रात्रि ११)