गुरुपूर्णिमा निमित्त संदेश

‘पूर्व काल में संकट आने पर शिष्य सद़्गुरुआें की शरण में जाते थे और गुरु उनकी रक्षा करते थे । जब हरि-हर कोपित होते थे, तब गुरु सभी की रक्षा करते थे । हम गुरु के दास होंगे, तभी हमें मुक्ति मिलेगी । पूर्व काल में गुरु का महत्त्व सभी को ज्ञात था; केवल इस आधुनिक कलियुग में लोगों को गुरु का महत्त्व ज्ञात नहीं ! आज सनातन संस्था के साधक गुरु के मार्गदर्शन में उनकी कृपा सेे साधना कर रहे हैं । गुरु-शिष्य कैसे होते हैैं, वहां यह प्रत्यक्ष सीखने मिलता है । अंधेरे में रहनेवालों कोे गुरु प्रकाश की ओर ले जाते हैं । बचपन में माता-पिता हमारे प्रथम गुरु होते हैं, तत्पश्चात पाठशाला में शिक्षा प्रदान करनेवाले ! हम सभी को पता ही होगा कि दत्तात्रेय, श्री राघवेंद्र स्वामीजी, सत्यसाईबाबा, ये सभी गुरु ही हैं । गुरु के कारण ही लाखों लोगों ने मोक्ष प्राप्त किया है । गुरु की शरण में जाकर उनके बताए अनुसार कृति करनी चाहिए । सनातन संस्था के आश्रम में गुरु के मार्गदर्शन में चल रहा सनातन धर्म अर्थात हिन्दू धर्म का कार्य पूरे राष्ट्र में फैला है । राष्ट्र-धर्म का यह कार्य उत्तम हो तथा सनातन संस्था का आश्रम उसका साक्षी हो ! इन सभी कार्यों को श्री विद्याचौडेश्वरी देवी के आशीर्वाद हैं और देवी यह कार्य आगे चलानेवाली हैं । गुरुपूर्णिमा के शुभकार्य में देवी के आशीर्वाद सभी पर हैं ।’ (४.७.२०२०)
– प.पू. श्री श्री श्री बालमंजुनाथ महास्वामीजी, कर्नाटक.