भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर का स्पष्ट वक्तव्य

नई दिल्ली – अब भारत केवल प्रत्युत्तर नहीं देता, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर पहल भी करता है । अब पाकिस्तान को यह नहीं लगता कि वह कुछ भी कर सकता है और उसे कोई दंड नहीं मिलेगा । भारत को हमेशा अपने पड़ोसी देशों से अच्छे संबंध बनाए रखने चाहिए, ऐसी कोई अपेक्षा न रखें । भारत ने इतनी सूझबूझ से नीति बनाई है कि किसी भी देश में सरकार बदल जाए फिर भी संबंध अच्छे बने रहते हैं । ऐसे शब्दों में भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने भारत की विदेश नीति पर बात करते हुए अपनी भूमिका स्पष्ट की ।
डॉ. जयशंकर द्वारा प्रस्तुत सूत्र
१. हमारे प्रत्येक पड़ोसी को यह समझ लेना चाहिए कि भारत के साथ मिलकर काम करने से उन्हें लाभ होता है एवं ऐसा न करने से उन्हें हानि होती है । कुछ देशों को यह बात समझने में समय लगता है । पाकिस्तान एक अपवाद है, क्योंकि उसकी पहचान सेना के इर्द-गिर्द बनी है, वह पहले से ही भारत के विरुद्ध शत्रुता रखता है ।
२. पूर्ववर्ती सरकारों की पाकिस्तान के प्रति नीति नरम थी, किंतु मोदी सरकार ने वह बदल दी ।
३. अमेरिका के साथ संबंधों में कभी-कभी अनिश्चितता रहती है, इसलिए भारत को उसके साथ अधिक से अधिक संबंध बनाए रखने चाहिए, जिससे कि संबंध संतुलित बने रहें ।
४. गलवान संघर्ष के बाद चीन सीमा पर स्थिति अत्यंत कठिन हो गई थी । इस कारण हमें सीमा पर सड़कें और आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करानी पड़ीं, जिसे पूर्ववर्ती सरकारों ने प्रमुखता नहीं दी । पूर्व की सरकारों ने सीमा का विकास नहीं किया । यह एक बड़ी चूक थी । आज हम चीन के विरुद्ध दृढ़ता से खड़े हैं; क्योंकि हमने वहां आवश्यक आधारभूत सुविधाएं निर्मित की हैं ।
५. पिछले ग्यारह वर्षों में मोदी सरकार ने पड़ोसी देशों से भारत के संबंध सुदृढ़ करने पर विशेष ध्यान दिया है ।
६. प्रारंभ में मालदीव के साथ कुछ समस्याएं थीं; परंतु अब संबंध सुधर गए हैं ।
७. नेपाल की राजनीति में भारत को बार-बार घसीटा जाता है; परंतु हमें उसकी चिंता नहीं करनी चाहिए ।
८. संबंधों में उतार-चढ़ाव आते हैं; परंतु हमें बुद्धिमानी से व्यवहार करना चाहिए । कठिन समय में पराजय एवं घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि वह दुर्बल योजना का लक्षण है ।