Dunki Agent : डंकी एजेंट’ ने भारतीय पारपत्र की प्रतिमा मलिन की : सर्वोच्च न्यायालय

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा अटक पूर्व जमानत देने को नकार !

(‘डंकी एजेंट’ अर्थात बिना उचित दस्तावेज के अन्य देश में प्रवेश करने की इच्छा करनेवाले स्थानांतरितों के लिए अवैध रूप से सीमा काे लांघने में सहायता करनेवाला व्यक्ति )

नई देहली – अवैध रूप से लोगों को विदेश में भेजनेवाले ‘डंकी एजेंट’ की अटकपूर्व जमानत की याचिका हाल-ही में सर्वोच्च न्यायालय ने अस्वीकार कर दी है । सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति उज्जल भुयान तथा न्यायमूर्ति मनमोहन के खंडपीठ ने अटकपूर्व जमानत देना अस्वीकार किया तथा कहा कि डंकी एजेंट’ भारतीय पारपत्र की प्रतिमा मलिन करते हैं ।

१. हरियाणा के एक पीडित व्यक्ति ने सर्वाेच्च न्यायालय में अभियोग प्रविष्ट (दाखिल) किया था । इस पीडित व्यक्ति ने कहा कि अपराधी ने (डंकी एजेंट ने) उसे सितंबर २०२४ में दुबई भेजा । तत्पश्चात वहां से उसे अनेक देशों से पनामा के जंगल से होते हुए मेक्सिको ले जाया गया । १ फरवरी, २०२५ को उसे अमेरिका की सीमा से अंदर ले जाया गया; परंतु पुलिस ने उसे वहां बंदी बनाया । तत्पश्चात १६ फरवरी को उसे अमेरिका से भारत भेजा गया । इस सब के लिए अपराधी ने पीडित व्यक्ति के परिवार से २२ लाख रुपए लिए । (धोखादायी मार्ग से अवैध रूप से अमेरिका तथा ब्रिटेन समान देशों में पहुंचना, इसे ‘डंकी रूट’ कहते हैं ।)

२. अपराध का पंजीकरण होने के पश्चात अपराधी ने (डंकी एजेंट ने) मुक्तता के लिए पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय में याचिका प्रविष्ट की । उच्च न्यायालय ने उसकी अटकपूर्व जमानत अर्ज अस्वीकार करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता का ((डंकी एजेंट का) अपराध का इतिहास है; क्योंकि वह इसी प्रकार के अन्य एक प्रकरण में भी सम्मिलित है । ऐसी परिस्थिति में प्रथमत: यह अभियोग धोखाधडी के ही समान है ।