सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा प्रश्न !
(‘बिटकॉइन’ विभिन्न आभासी मुद्राओं में से एक है ।)
नई दिल्ली – बिटकॉइन नियमबाह्य आर्थिक लेन-देन प्रणाली के समान है एवं इसका अर्थव्यवस्था पर विपरीत परिणाम पड सकता है । सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार से पूछा कि वह बिटकॉइन को विनियमित करने के लिए स्पष्ट नीति क्यों नहीं बना रही है । सर्वोच्च न्यायालय ने गुजरात में अवैध बिटकॉइन व्यापार के एक प्रकरण में बंदी बनाए गए आरोपी शैलेश बाबूलाल भट्ट की प्रतिभूति याचिका पर सुनवाई करते हुए इस संबंध में उपरोक्त प्रश्न पूछा । शैलेश भट्ट पर कई राज्यों में ‘क्रिप्टोकरेंसी’ से संबंधित धोखाधडी का आरोप है ।
१. सर्वोच्च न्यायालय ने आगे कहा कि कोई भी आपसे बिटकॉइन क्रय-विक्रय पर प्रतिबंध लगाने के लिए नहीं कह रहा है; क्योंकि आपने पहले कहा था, ‘क्रिप्टोकरेंसी अवैध नहीं है एवं इस पर प्रतिबंध लगाना अर्थव्यवस्था के लिए बुद्धिमानी नहीं होगी ।’ इस पर प्रतिबंध लगाकर आप वास्तविकता से मुंह मोड सकते हैं; ” किन्तु क्या आपने इसका नियमन करने पर विचार किया है?” न्यायालय ने प्रश्न किया ।
२. न्यायालय ने केंद्र सरकार को स्मरण कराया कि उसने २ वर्ष पूर्व डिजिटल मुद्राओं पर भारत की नीति पर स्पष्टता मांगी थी । इसके तब भी सरकार इसका नियमन करने में विफल रही । न्यायालय ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विषय की ओर से आंखें बंद लेने जैसा है । (यदि न्यायालय के आदेश के बाद भी सरकार इस ओर आंखें बंद किए बैठी है, तो जनता का मान्यता है कि यह गंभीर है ! – संपादक)
संपादकीय भूमिकावास्तव में, न्यायालय को यह प्रश्न पूछना ही नहीं चाहिए । सरकार को इस पर पहले ही स्पष्ट नीति बनानी चाहिए थी ! |