‘सनातन राष्ट्र शंखनाद’ महोत्सव में सम्मिलित हुए २०,००० श्रद्धालु !

फोंडा, गोवा (सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेनगरी) – स्वयं साधना करना यह व्यष्टि साधना अर्थात व्यक्तिगत साधना है, जबकि साधना में समाज को सम्मिलित करना एक समष्टि साधना है। सनातन संस्था समष्टि साधना सिखाती है। अतः आज सनातन के १३१ साधकों को संत का पद प्राप्त हो चुका है, तथा आगामी १० वर्षों में १००० साधक संत पद प्राप्त करलेंगे ! यदि सम्पूर्ण समाज सात्विक हो जाए तो शीघ्र ही हिन्दू राष्ट्र की स्थापना हो जाएगी। सनातन संस्था के संस्थापक डॉ. सच्चिदानंद परब्रह्म जयंत आठवलेजी, कहते हैं कि हिन्दू राष्ट्र की स्थापना एक समष्टि साधना है और सभी को इससे अवगत कराने के लिए समाज में जाना चाहिए। ऐसा,अपने मार्गदर्शन में सनातन संस्था के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत बाळाजी आठवलेजी ने कहा । वह गोवा अभियांत्रिकी महाविद्यालय के मैदान में ‘सनातन राष्ट्र शंखनाद महोत्सव’ के अवसर पर मार्गदर्शन कर रहे थे। इस अवसर पर २०,००० से अधिक साधक एवं हिन्दू धर्माभिमानी उपस्थित थे।
इस अवसर पर सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी की धर्मपत्नी डॉ. (श्रीमती) कुंदा जयंत आठवले, उनके ज्येष्ठ बंधु पू. डॉ. अनंत बालाजी आठवले, उनकी भाभी (माननीय अनंत बालाजी आठवले की धर्मपत्नी) श्रीमती सुनीति आठवले, साथ ही देश-विदेश से आए साधक उपस्थित थे। इस समय सनातन साधक डॉ. (श्रीमती) कुंदा जयंत आठवले का, श्रीमती ज्योति निरंजन दाते ने अतिथियों का सत्कार किया, जबकि माननीय प्रदीप खेमका और माननीय (श्रीमती) सुनीता खेमका द्वारा पू. अनंत अठावले और श्रीमती सुनीति अठावले को सम्मानित किया गया ।

यदि समाज में अधिकाधिक लोग सात्विक प्रवृत्ति विकसित करें, तो हिन्दू राष्ट्र की स्थापना निश्चित है !
समाज में डॉक्टर केवल शारीरिक और मानसिक रोगों के लिए ही दवा लिखते हैं; यद्यपि अनेक रोग जिनमें दुष्टात्माओं के कष्ट भी सम्मिलित हैं, व्यक्तित्व दोष, प्रारब्ध और पैतृक कष्टों के कारण होती हैं। उन्हें इस संबंध में कोई ज्ञान नहीं होता । इसलिए उनके पास इस समस्या का कोई समाधान भी नहीं होता। परिणामस्वरूप, नकारात्मक शक्तियों के कष्टों को दूर करने के लिए नामजप अर्थात साधना ही करनी पडती है। ‘हिन्दू’ शब्द का अर्थ है ‘हीनानि गुणानि दुष्यति इति हिन्दू’ अर्थात जो स्वयं के दोषों को दूर करता है, वह हिन्दू है। जब समाज में अधिक से अधिक लोग सात्विक प्रवृत्ति विकसित करेंगे तो निश्चित रूप से हिन्दू राष्ट्र अस्तित्व में आएगा। अब हमें स्वयं को सिद्ध करना होगा कि यदि कोई आपात स्थिति उत्पन्न हो जाए तो हम उसका सामना कर सकें। अब तृतीय विश्व युद्ध होगा। आपातकाल के समय उत्पन्न होने वाली युद्ध जन्य स्थिति में नागरिकों को विभिन्न संकटों का सामना करना पडेगा। ऐसी स्थिति में हमें उनकी सहायता करनी होगी। हमें इसके लिए अभी से सिद्धता करनी होगी। यह सिद्धता ही समष्टि साधना है। उन्होंने यह भी कहा कि सनातन राष्ट्र की स्थापना ही हिंदू राष्ट्र की स्थापना है।

इस समय ‘अनंतकोटि ब्रह्माण्डनायक राजाधिराज…श्री गुरुकृपाधिपति सच्चिदानंद परब्रहम डॉ.’ ‘जयंत आठवलेजी की जय’ नामक वृहद जय घोष किया गया। इस समय डॉ. (श्रीमती) कुंदा जयंत आठवले ने भी अपने विचार व्यक्त किए। उसी प्रकार पू.अनंत आठवलेजी के विचार भी पढे गए