Sanatan Rashtra Shankhnad Mahotsav : सनातन धर्म के ध्वज का आरोहण !

हिन्दुओं के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया एक अद्वितीय दिव्य क्षण ! 

सनातन धर्म के ध्वज का ध्वजारोहण !

सनातन धर्म का ध्वज आकाश में फहराया गया!
सनातन धर्म की दैदीप्यमान ध्वजा आकाश को चीरती हुई जा रही थी ।
धर्मप्रेमी हिन्दुओं की आंखों में प्रसन्नता के अश्रु से भर आईं ।
एक सनातन राष्ट्र की स्थापना का विचार उभरने लगा ।
ध्वज ने श्री गुरु की कीर्ति को क्षितिज में प्रसिद्ध कर दिया।

सच्चिदानंद परब्रहम डॉ. आठवले नगरी, १८ मई (समाचार) – हिन्दू राष्ट्र की स्थापना का सपना संजोने वाले हिन्दुओं के लिए वैशाख कृष्ण षष्ठी यानी १८ मई २०२५ का दिन ऐतिहासिक एवं स्वर्णिम दिन बन गया । इस दिन हिन्दू राष्ट्र के संस्थापक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के शुभ हाथों से सनातन धर्म की ध्वजा फहराई गई । इस अवसर पर सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी के आध्यात्मिक उत्तराधिकारी, श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी भी उपस्थित थे । ध्वज किसी राष्ट्र एवं धर्म की पहचान का प्रतीक है । इसलिए सनातन धर्म के ध्वजा फहराने के क्षण को प्रत्यक्ष अनुभव कर हिन्दुत्वनिष्ठ एवं धर्मप्रेमी कृतार्थ हुए । सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी की जयंती वैशाख कृष्ण षष्ठी को होती है । इस दिन सनातन धर्म की ध्वजा फहराना लाक्तजन्य योग कहा जा सकता है ।

‘सनातन राष्ट्र का उदय दूर नहीं है, तथा इस हिंदू राष्ट्र का गौरव तीनों राष्ट्रों में साझा होगा’, ऐसा लग रहा था मानो आकाश में लहराता हुआ ध्वज मन से यही कह रहा हो !

श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा की गई ध्वज की पंचोपचार पूजा

ध्वजारोहण से पहले ध्वज की पंचोपचार पूजा श्रीसत्‌शक्ति (श्रीमती) बिंदा सिंगबाळजी एवं श्रीचित्‌शक्ति (श्रीमती) अंजली गाडगीळजी द्वारा की गई । इस अवसर पर इरोड, तमिलनाडु से अरुण गुरुमूर्ति शिवाचार्य ने वैदिक मंत्रों का पाठ किया तथा सनातन साधक श्री. दीप पाटने ने शंख बजाया । सनातन साधक श्री. विनायक शानबाग ने ध्वज की महिमा बताई ।

सनातन धर्म का ध्वज फहराते समय सूर्य अस्त हो रहा था और उसकी लाल किरणें आकाश में ऊर्जा और शक्ति बिखेर रही थीं । इस समय आकाश भी नीला हो गया था, मानो देवता, ऋषि और गंधर्व प्रकृति के माध्यम से सूक्ष्म रूपों में उपस्थित होकर पुष्प वर्षा कर रहे हों ।

ऐसा है यह अलौकिक एवं अनोखा ‘सनातन धर्मध्वज’ !

‘सनातन धर्मध्वज’

महाभारत के युद्ध के समय श्री कृष्ण एवं अर्जुन जिस रथ पर सवार थे, उस पर बैठे हुए हनुमानजी ने अपने हाथ में जो ध्वज थामा था, वह सनातन धर्म का ध्वज था । हनुमान जी का रंग लाल है, अर्थात नारंगी; इसलिए सनातन धर्म का ध्वज नारंगी रंग का है । इस ध्वज पर एक चित्र अंकित है जिसमें लिखा है ‘कामधेनु कल्प वृक्ष के नीचे खड़ी है ।’ कल्पवृक्ष और कामधेनु दोनों ही ‘समृद्धि, पोषण, सुरक्षा और भगवान विष्णु के शुभ हाथ’ के प्रतीक हैं

सनातन धर्म का ध्वज फहराने के बाद महर्षि अध्यात्म विश्वविद्यालय के संगीत विभाग की सुश्री तेजल पात्रिकर, श्रीमती सीता क्रैक, श्रीमती भक्ति कुलकर्णी, श्री. गिरिजय प्रभुदेसाई, अनिल सामंत और श्री. अनिकेत कदम ने क्षत्रिय गीत ‘सनातन राष्ट्र धर्मसूर्य उम्भा क्षत्रवीरों उठो चलो’ गाया ।