नई दिल्ली – पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को पाठ सिखाने के लिए 4 बड़े निर्णय लिए हैं। इनमें से सिंधु जल संधि को स्थगित करना सबसे बड़ा निर्णय है। भारत ने कहा है कि “जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को समर्थन देता रहेगा, तब तक भारत यह संधि लागू नहीं करेगा।” अब प्रश्न यह है कि सिंधु जल संधि को समाप्त करना क्या इतना आसान है? क्या भारत एक ही रात में तीन नदियों का पानी रोक सकता है? इन तीन नदियों का पानी रोकने के लिए भारत को कितना समय लगेगा? यह समझना आवश्यक है।
तीन नदियों का पानी एक रात में नहीं रोका जा सकता!
सिंधु जल संधि को स्थगित करने के बाद भारत अब पाकिस्तान को झेलम, चिनाब और सिंधु नदियों का पानी उपयोग करने की अनुमति नहीं देगा; लेकिन यह पानी पाकिस्तान तक पहुँचने से रोकने के लिए भारत के पास वर्तमान में पर्याप्त आधारभूत संरचनाएं नहीं हैं। भले ही भारत बांध बनाकर या पानी को रोककर ऐसा करे, तो जम्मू-कश्मीर और पंजाब राज्यों में भीषण बाढ़ आ सकती है।
पानी रोकने में कितना समय लगेगा?
वर्तमान स्थिति को देखते हुए भारत ने तीन नदियों पर चार परियोजनाओं की योजना बनाई है। इनमें से दो परियोजनाएं चालू हैं और दो की निर्माण प्रक्रिया चल रही है। भारत ने चिनाब नदी पर पाकिस्तान क्षेत्र में बागलिहार बांध और रैटल परियोजना, चिनाब की एक उपनदी मारुसुदर पर पाकल दुल परियोजना, तथा झेलम की उपनदी नीलम पर किशनगंगा परियोजना शुरू की है। इनमें से केवल बागलिहार बांध और किशनगंगा परियोजना ही कार्यरत हैं। ऐसी स्थिति में यदि भारत को पाकिस्तान क्षेत्र में बहने वाली तीन नदियों का पानी रोकना है, तो इसमें काफी समय लग सकता है। इन तीन नदियों से मिलने वाले लाखों क्यूसेक (पानी मापने की इकाई) पानी का उपयोग करने के लिए भारत को आधारभूत सुविधाएं तैयार करनी होंगी। पाकिस्तानी विशेषज्ञ भी यही कह रहे हैं। पाकिस्तानी नेताओं का कहना है कि भारत सिंधु जल संधि के तहत मिलने वाले पानी को एक ही रात में नहीं रोक सकता, इसलिए उनके पास भारत के इस निर्णय के विरुद्ध कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए पर्याप्त समय है।
पाकिस्तान की कृषि भूमि सूख जाएगी।
पाकिस्तान के सिंध और पंजाब प्रांतों की 90 प्रतिशत कृषि योग्य भूमि अपनी पानी की आवश्यकताओं के लिए सिंधु जल संधि के अंतर्गत मिलने वाले पानी पर निर्भर है। ऐसी स्थिति में यदि भारत चिनाब, झेलम और सिंधु नदियों का पानी रोक देता है, तो पाकिस्तान में अराजकता फैल सकती है। पानी रोकने से केवल पाकिस्तान की कृषि भूमि ही नहीं सूखेगी, बल्कि पीने के पानी और बिजली परियोजनाओं को भी बड़ा झटका लगेगा। भारत के इस कदम से पाकिस्तान को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है।