बागपत, पांडवों द्वारा बसाए गए गांवों में से एक होने के कारण इस खुदाई को विशेष महत्त्व प्राप्त।
लक्ष्मणपुरी (उत्तरप्रदेश) – उत्तरप्रदेश के बागपत जिले के तिलवाड़ा गांव में की गई खुदाई के दौरान अनुमानित ४ सहस्त्र वर्ष पुराने अवशेष मिले हैं। ४ महीनों की कठोर मेहनत के बाद प्राचीन वस्तु विभाग को यह सफलता मिली है। मिली हुई वस्तुओं में मिट्टी के बर्तन, तांबे की वस्तुएं, ईंटें तथा मनके शामिल हैं । बागपत को महाभारत काल में पांडवों द्वारा बसाए गए पांच गांवों में से एक माना जाता है । बागपत के अतिरिक्त सोनीपत, पानीपत, इंद्रप्रस्थ तथा तलपत का भी महाभारत में उल्लेख आता है । इस कारण तिलवाडा गांव में हुई खुदाई को विशेष महत्त्व दिया जा रहा है ।
१. बागपत का तिलवाड़ा गांव हरियाणा की सीमा पर स्थित है एवं भारत की राजधानी दिल्ली से लगभग ८५ किलोमीटर की दूरी पर है । यहां खुदाई का कार्य दिसंबर २०२४ में आरंभ हुआ ।
२. खुदाई में प्राप्त वस्तुएं मेरठ भेजी जाएंगी । देश के प्रसिद्ध प्राच्यविद (पुरातत्त्ववेत्ता) इन पर गहराई से विचार करेंगे । इन वस्तुओं को एकत्र करने से पहले प्राचीन वस्तु विभाग ने इनकी प्राथमिक जांच की थी।
३. खुदाई से पहले ही गांववासियों को यहां प्राचीन वस्तुएं मिलने लगी थीं । उन्होंने ये वस्तुएं प्राचीन वस्तु विभाग को सौंपीं । इसके बाद विभाग के अधिकारियों ने यहां खुदाई की अनुमति मांगी थी, जो वर्ष २०२३ में प्राप्त हुई ।
४. बागपत का तिलवाड़ा गांव सिनौली के पास स्थित हैb। वर्ष २००५ में डॉ. डी.बी. शर्मा ने सिनौली में खुदाई आरंभ की थी । उस समय प्राचीन वस्तु विभाग को १०० से अधिक मानव अस्थिपिंजर (कंकाल) मिले थे, जो ३ हजार वर्ष से अधिक पुराने थे ।
५. सिनौली में केवल अस्थिपिंजर ही नहीं, अपितु रथ, मुकुट, बर्तन तथा शस्त्र भी प्राप्त हुए थे । वहां मिले रथों से यह प्रमाणित हुआ कि भारत में ४ सहस्त्र वर्ष पहले भी युद्धविद्या उन्नत अवस्था में थी ।
संपादकीय भूमिका‘महाभारत’ को कपोल-कल्पित कहने वालों के लिए इससे बढकर सटीक उत्तर और क्या हो सकता है ? |