
नई देहली – भारतीय वायुसेना को प्रतिवर्ष ३० से ४० युद्धक विमानों की आवश्यकता है । इसकी पूर्ति होने पर ही कालबाह्य हो गए ‘मिराज’, ‘मिग-२९’ और ‘जगुआर’ जैसे पुराने विमान सेवा से हटाए जा सकते हैं । यह बात वायुसेना प्रमुख एअर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने स्पष्ट कही है ।
वायुसेना प्रमुख सिंह ने आगे कहा –
१. वायुसेना का प्रमुख लक्ष्य स्वदेश निर्मित युद्धक विमानों को प्राप्त करना है । यह लक्ष्य साध्य करने के लिए निजी क्षेत्र की भागीदारी बढनी चाहिए ।
२. वायुसेना के पास वर्तमान में युद्धक विमानों के ३१ ‘स्क्वाड्रन’ (१२ समान युद्धक विमानों का एक समूह) हैं; परंतु आवश्यकता ४२ ‘स्क्वाड्रन’ की है । इसलिए, देश को प्रतिवर्ष न्यूनतम ३० से ४० युद्धक विमानों का निर्माण करना पड़ेगा । यह लक्ष्य प्राप्त करना असंभव नहीं है ।
३. ‘हिन्दुस्थान एरोनॉटिक्स लिमिटेड’ प्रतिष्ठान की प्रतिवर्ष ३० युद्धक विमान बनाने की क्षमता है । इसके अतिरिक्त, निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों से भागीदारी कर हम और १२ से १८ युद्धक विमान बना सकेंगे ।