Sanatan Dharma Diksha : जीवन में शांति की चाहत में विदेश से आए ६८ श्रद्धालुओं ने महाकुंभ में स्वीकार किया सनातन धर्म !

अमेरिका के सबसे अधिक ४१ श्रद्धालुओं ने सनातन दीक्षा को किया स्वीकार !

गुरुदीक्षा लेने के बाद विदेशी श्रद्धालुओं के चेहरों पर दिखी प्रसन्नता

प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) – प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ मेले में ११ फरवरी को ६८ विदेशी श्रद्धालुओं ने विधिपूर्वक सनातन धर्म स्वीकार किया । इनमें सबसे बड़ी संख्या अमेरिकी भक्तों की थी । हिन्दू धर्म अपनाने वालों में संयुक्त राज्य अमेरिका के ४१ नागरिक, ऑस्ट्रेलिया के ७, स्विट्जरलैंड के ४, फ्रांस के ३, बेल्जियम के ३, ब्रिटेन के २, आयरलैंड के २, कनाडा के २ तथा नॉर्वे, जापान, इटली और जर्मनी के एक-एक नागरिक सम्मिलित हैं । सभी ने महाकुंभ क्षेत्र के सेक्टर १७ स्थित शक्तिधाम में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ गुरुदीक्षा ली ।

विदेशी भक्त जप करते हुए

जगद्गुरु साईं मां लक्ष्मी देवी इन विदेशी भक्तों को शाश्वत शांति का मार्ग दिखा रही हैं । उन्होंने कहा, “जीवन में शांति ढूंढते हुए विदेशी श्रद्धालु सनातन धर्म में आ रहे हैं और शांति का अनुभव कर रहे हैं ।” सनातन मार्ग अपनाने के बाद उनके चेहरों पर मुस्कान है । उनका मन शांत है । उनके मन में जो भ्रम था वह समाप्त हो गया । उन्हें अब जीवन की राह मिल गई है ।” गले में तुलसी की माला और हाथों में फूलों का गुलदस्ता लिए जगद्गुरु साईं मां लक्ष्मी देवी से दीक्षा लेने के बाद इन विदेशी भक्तों के चेहरों पर अनोखी चमक दिख रही थी ।

गुरुदीक्षा लेने के लिए लाइन में खड़े विदेशी भक्त
ध्यान व जप करते विदेशी भक्त

दीक्षा लेने वालों में अमेरिका में संपत्ति प्रबंधन में काम करने वाली सुसान मुचनिज, ऑस्ट्रेलिया में आध्यात्मिक उपचारक हिंडर-हॉकिन्स, कनाडा में विपणन प्रबंधक नतालिया इज़ोटोवा, इंडोनेशिया में मनोचिकित्सक जस्टिन वॉटसन और बेल्जियम में प्रशासक इंगे तिजगत शामिल हैं ।

विदेशी भक्तों की प्रतिक्रियाएं…

अंधकार में प्रकाश का अनुभव हो रहा है ! – माइकल कैनेडी, डेटा वैज्ञानिक, अमेरिका

पहले मेरे जीवन में कोई स्पष्टता नहीं थी । मैं उलझन में था । मुझे नहीं पता था कि क्या करना है ; लेकिन जगतगुरु साईं माँ के संपर्क में आने के बाद, मुझे अपने जीवन में प्रकाश का अनुभव होने लगा है । गुरुदीक्षा लेने के बाद मैं बहुत अच्छा अनुभव कर रहा हूं ।

मुझे शांति केवल सनातन धर्म में ही मिली ! – नताशा कॉर्टेस, फोटोग्राफर, रूस

पूरे विश्व में भ्रमण करने के बावजूद मुझे शांति केवल सनातन धर्म में ही मिली । पहले मैं पूर्णतः यथार्थवादी था; लेकिन अब, दीक्षा लेने के बाद, मैं विलक्षण आनंद अनुभव कर रहा हूं । इस अनुभव का हिस्सा बनकर मेरा जीवन धन्य हो गया है ।

जब हम आत्म-शोध के मार्ग पर आगे बढ़ते हैं तो हम सकारात्मकता का अनुभव करते हैं ! – मेगन, छात्रा, अमेरिका

गुरुदीक्षा मेरे लिए एक अविश्वसनीय अनुभव था । जब हम पूर्ण समर्पण के साथ आत्म-खोज के मार्ग पर चलते हैं, तो वह मार्ग हमें अधिक शांति, सकारात्मकता और आत्मविश्वास प्रदान करता है ।

संपादकीय भूमिका 

विश्वभर के विदेशी लोगों को भारत के प्रति जो प्रेम अनुभव होता है वह भारत के संतों द्वारा सिखाई जाने वाली साधना और अध्यात्म के कारण है । न की राजनीति करने वालों और राजनेताओं के कारण, ऐसा हमारे संस्थापक संपादक सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. आठवलेजी ने कहा है । यह घटना इसका नवीनतम उदाहरण है !