सूरत (गुजरात) – शहर के सलाबतपुरा क्षेत्र में एक हिन्दू महिला ने अपनी संपत्ति एक मुस्लिम महिला को बेच दी; लेकिन वहां के जिला कलेक्टर ने ‘डिस्टर्बड एरिया ऍक्ट के अनुसार (अशांत क्षेत्र अधिनियम के अंतर्गत) संपत्ति जब्त कर ली और उनके बीच हुए समझौते को निलंबित कर दिया । इस अधिनियम की धारा ५(अ) और (ब) के अंतर्गत, संपत्ति बेचने के इच्छुक व्यक्ति को जिला कलेक्टर को सहमति के लिए आवेदन करना होगा । जिला कलेक्टर औपचारिक जांच करता है, विभिन्न पक्षों की बात सुनता है, तथा समझौता करने अथवा अस्वीकार करने का अधिकार रखता है ।
अशांत क्षेत्र अधिनियम क्या है ?
अशांत क्षेत्र अधिनियम के तहत, किसी शहर अथवा गांव के विशिष्ट क्षेत्र को जिला कलेक्टर द्वारा ‘अशांत क्षेत्र’ के रूप में अधिसूचित किया जाता है । यह आमतौर पर उस क्षेत्र में हुए धार्मिक दंगों के इतिहास पर आधारित होता है । इस अधिसूचना के बाद उस क्षेत्र में अचल संपत्ति के हस्तांतरण के लिए जिला कलेक्टर की स्पष्ट अनुमति आवश्यक होगी । आवेदन में विक्रेता को एक शपथ-पत्र संलग्न करना होगा जिसमें यह उल्लेख हो कि उसने अपनी स्वेच्छा से संपत्ति बेची है तथा उसे उचित बाजार मूल्य प्राप्त हुआ है । इस कानून के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर कारावास और जुर्माना हो सकता है । २०२० में संशोधन के बाद इस अधिनियम के अंतर्गत जिला कलेक्टर के साथ-साथ सरकार को भी अधिक शक्तियां दी गई हैं । कर्नावती, वडोदरा, सूरत, आणंद, अमरेली, भावनगर, पंचमहल और अन्य जिलों के कई क्षेत्र इस अधिनियम के दायरे में हैं और नए क्षेत्र भी जोड़े जा रहे हैं ।
संपादकीय भूमिकाऐसा कानून हर राज्य में बनाया जाना चाहिए। इससे हिन्दू संपत्तियां कट्टरपंथियों को बेचे जाने से बच जाएंगी तथा हिन्दुओं को पलायन करने से रोका जा सकेगा ! |