Dr. Omendra Ratnu : पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए हिन्दू समुदाय को आगे आना चाहिए !

  • डॉ. ओमेन्द्र रत्नू, पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए लड़नेवाले एक हिन्दुत्वनिष्ठ

  • ‘विस्थापित हिन्दू पुनर्वास बोर्ड’ की स्थापना की मांग

श्री. यज्ञेश सावंत और श्री. केतन पाटिल, विशेष प्रतिनिधि, प्रयागराज

डॉ. ओमेन्द्र रत्नू

प्रयागराज, ३० जनवरी (वार्ता) – क्रिकेट और बॉलीवुड (हिंदी फिल्म उद्योग) जैसी बातों में अटका हिन्दू समाज बलात्कार की शिकार हिन्दू लड़कियों के लिए कितनी पहल करता है ? आज पाकिस्तान में एक करोड हिन्दू पशुओं की भांति रह रहे हैं । पाकिस्तानी हिन्दुओं को वीजा नहीं मिलता । हमने निर्णय लिया है कि अधिक से अधिक हिन्दुओं को वापस लाना हमारी साधना है । ‘निमित्तेकम’ संगठन के डॉ. ने स्पष्ट बयान दिया कि हिन्दू समुदाय को पाकिस्तानी हिन्दुओं के लिए आगे आना चाहिए । ओमेन्द्र रत्नू द्वारा निर्मित ‘सनातन प्रभात’ से बात करते हुए उन्होंने पाकिस्तानी हिन्दुओं पर हो रहे अत्याचारों के बारे में बताया और भारत के हिन्दुओं से सहायता की अपील की ।

श्री. ओमेन्द्र रत्नू ने आगे कहा,

पाकिस्तान और बांग्लादेश में हिन्दुओं के लिए ‘विस्थापित हिन्दू पुनर्वास बोर्ड’ की स्थापना की जानी चाहिए !

सी.ए.ए कानून का स्वागत किया गया; लेकिन उस कानून का पूरा लाभ २०२५ आने तक नहीं मिला । २०१४ के बाद फंसे हिन्दुओं का क्या होगा ? यह प्रश्न है । यह आवश्यक था कि कानून में समय-सीमा न लगाई जाए । पाकिस्तान में हिन्दू विभिन्न समुदायों जैसे भील, कोली, मेघवाई और पूर्वी राजपूतों से आते हैं । भारत में उनके समुदाय के लोग अच्छी स्थिति में हैं; इसलिए आज उनकी सहायता की जा सकती है । पाकिस्तान के १ करोड़ हिन्दुओं और बांग्लादेश के २ करोड़ हिन्दुओं के लिए हिन्दू पुनर्वास बोर्ड’ स्थापित किया जाना चाहिए । उस बोर्ड के माध्यम से पाकिस्तानी और बांग्लादेशी हिन्दुओं को भारत में जगह दिलाने और उनके रहने की सुविधा प्रदान करने जैसे कार्य किए जा सकते हैं ।

यदि पाकिस्तानी अथवा बांग्लादेशी हिन्दुओं को नहीं बचाया गया तो कल भारत में भी वही स्थिति उत्पन्न हो जाएगी !

पाकिस्तान में पूरे हिन्दू गांव मुस्लिम बनते जा रहे हैं । जब पाकिस्तान के हिन्दुओं को पता चले कि भारत में हिन्दुओं की स्थिति भी विकट है तो उन्हें क्या करना चाहिए ? आईएसआई जैसे संगठन हमें धमकी देते हैं, “इन काफिरों को निकलो और पाकिस्तान का नाम खराब मत करो ।” क्या हिन्दू समाज, हिन्दू संगठन और हिन्दू संतों में पाकिस्तानी और बांग्लादेशी हिन्दुओं के प्रति थोड़ी भी संवेदनशीलता नहीं है ? ऐसा प्रश्न खड़ा होता है ।

प्रशासनिक अड़चनों के कारण पाकिस्तानी हिन्दुओं को बचाना कठिन हो रहा है !

सोनिया गांधी एक कानून लेकर आई थीं । वीज़ा के लिए आवेदन करते समय, उस पर सरकार द्वारा नियुक्त अधिकारी (राजपत्रित अधिकारी) के हस्ताक्षर होने चाहिए । पहले ऑनलाइन पद्धति थी, लेकिन अब लिखित पत्र देना पड़ता है । यह पत्र सीधे पाकिस्तान कैसे जायेगा ? इसके लिए आवेदन पहले दुबई और फिर दुबई से पाकिस्तान भेजना पड़ता है । मैं सरकार से इस कानून में सुधार करने का अनुरोध करता हूं । नागरिकता संशोधन कानून लागू होने के पश्चात केवल ३०-४० हजार हिन्दुओं को ही इस कानून का लाभ मिलेगा; लेकिन ३१ दिसंबर २०१४ के बाद हिन्दुओं का क्या होगा ? प्रशासन को इस संबंध में और अधिक सहायता प्रदान करनी चाहिए ।