पश्चिमी संस्कृति को अपनाकर विनाश की खाई में बढ रहा समाज !

‘पूर्व काल की पीढियों में वैचारिक अंतर (जनरेशन गैप) नहीं था । प्रत्येक पीढी पहले की पीढी से समरस हो जाती थी । दादाजी, परदादाजी से लेकर परपोते, उनके बच्चे भी साथ रहते थे । हिन्दुओं ने पश्चिमी संस्कृति अपनाई, इस कारण दो पीढियों में अर्थात माता-पिता और बेटे बहू में भी आपस में समरसता नहीं है । अब पति-पत्नी की भी आपस में नहीं बनती । विवाह के उपरांत कुछ समय में ही विवाह-विच्छेद हो जाता है ।’
बच्चों को पाठशाला में हिन्दू धर्म न सिखाने के दुष्परिणाम
‘स्वतंत्रता से लेकर अब तक के ७७ वर्षों में शासनकर्ताओं ने बच्चों को पाठशाला में हिन्दू धर्म नहीं सिखाया । इसलिए बच्चों को हिन्दू धर्म का महत्त्व ज्ञात नहीं है । इस कारण उन्हें हिन्दू धर्म पर गर्व नहीं है । इसके विपरीत मुसलमानों में धर्माभिमान होने के कारण पूरे संसार में उनकी धाक है ।’
भारत – बाहरी तथा भीतरी शत्रुओं से जूझनेवाला एकमात्र देश !
‘अन्य देशों में भीतरी शत्रु नहीं होते । भारत के बाहरी और भीतरी दोनों प्रकार के शत्रु हैं । इस प्रकार से शत्रुओं से जूझनेवाला संसार का एकमात्र देश है भारत । भारतीयों के लिए यह लज्जाजनक है।
– सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले