Premanand Maharaj To Sambhal DM : उत्तर प्रदेश के संभल जिलाधिकारियों को वृंदावन के प्रेमानंद महाराज ने दिया गीता उपदेश !

जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पेन्सिया और वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराजी

संभल (उत्तर प्रदेश) – वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज ने यहां के हिन्दुओं के प्राचीन तीर्थस्थलों का पुनरुत्थान करने के अभियान के कारण चर्चा में आए जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पेन्सिया को उपदेश देते हुए कहा ‘ध्येयपूर्ति हेतु, हमें भजन गाने का अवसर प्राप्त हुआ है एवं आपको अपने जिले का प्रबंधन करने का अवसर मिला है । इस कारण यदि सेवाएं भिन्न भले ही हों, तब भी दोनों को समान उपहार मिलेगा । आपको जिलाधिकारीपद मिला है; इसलिए यदि आप प्रामाणिकता से एवं सच्ची भावना से नामजप के साथ सेवा करोगे, तो आप भी महात्मा हैं, महात्मा की गति जितनी होगी, उतनी ही आपकी गति होगी ।’ संत प्रेमानंद महाराज डॉ. राजेंद्र पेन्सिया को कर्तव्यकर्म का महत्त्व बता रहे हैं, यह वीडिओ सामाजिक माध्यमों से प्रसारित हुआ है । संभल में ६८ तीर्थस्थल, एवं १९ प्राचीन कुएं का शोधकार्य करने हेतु एक बडा अभियान आरंभ किया है । उसका नेतृत्व जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पेन्सिया कर रहे हैं ।

प्रत्येक सेवा भगवान की कृपा से प्राप्त होती है । इसलिए क्षमता के अनुसार देश-सेवा करें !

जिलाधिकारी डॉ. राजेंद्र पेन्सिया ने वृंदावन में संत प्रेमानंद महाराजी से भेंट की । तब महाराजजी ने उनसे कहा ‘‘प्रत्येक सेवा भगवान की कृपा से प्राप्त होती है । इसलिए हमें वह करते रहना चाहिए । आपकी क्षमता के अनुसार देश-सेवा करें । आपका जीवन भगवान के स्मरण में व्यतीत करें; क्योंकि जीवन का ध्येय ईश्वर-प्राप्ति करना है ।’’

आपके कर्तव्य में कोई भी चूक न हों, इसकी सावधानी बरतें !

संत प्रेमानंद महाराजजी ने गीता में स्थित अर्जुन का उदाहरण देते हुए कहा ‘अर्जुन कहता है ‘‘संन्यास लेने के पश्चात मैं भगवान की पूजा करूंगा’’; परंतु भगवान उनको मना करते हैं एवं कहते हैं ‘‘इस समय धर्मयुद्ध ही कर्तव्य है ।’’ इसलिए आपका कर्तव्य करते हुए एवं नामजप करते हुए, आपके कर्तव्य में कोई चूक न रहे, इसकी सावधानी बरतें । जैसे कि मैं अपने भजन में कोई चूक नहीं होने दूंगा, इसकी सावधानी रखता हूं ।’

लालच की बलि चढने की अपेक्षा कार्य किया, तो वह भगवान की पूजा एवं देश-सेवा ही होगी !

महाराजजी ने आगे कहा ‘‘आप जिस पद पर विराजमान हैं, वहां लालच में आकर कोई भी चूक न करें । यदि इस प्रकार कार्य करते हो, तो वह भगवान की पूजा होगी एवं देश-सेवा भी होगी । ऐसा करने से आप एक उत्कृष्ट अधिकारी के रूप में गिने जाओगे । तथा उसे भगवान की सेवा भी कही जाएगी । यदि कोई भगवान की सेवा कर सके, तो मानव जीवन अर्थपूर्ण होगा । इसलिए आनंद से जीएं एवं कोई भी व्यसन न लगने दें । उठते-बैठते (सदैव) भगवान का नामजप करें ।

संपादकीय भूमिका 

  • अतीत में प्रशासन में निधर्मीवाद के प्रभुत्व के कारण प्रशासकीय अधिकारी इस प्रकार संतों के पास जाना अथवा धर्मपालन करने जैसी बातें टालते थे । अब जिलाधिकारियों जैसे उच्चपदस्थ अधिकारी संतों के पास जा कर गीता उपदेश सुनते हैं, यह सकारात्मक कदम है !
  • ऐसे जिलाधिकारियों की यदि धर्मनिरपेक्षतावादियों द्वारा आलोचना की जाए, तो इसमें आश्चर्य कैसा !