Hindu Code Of Conduct : काशी विद्वत परिषद ने ३५१ वर्ष के उपरांत तैयार की ‘हिन्दू आचारसंहिता’ !

  • महाकुंभ में शंकराचार्य, रामानुजाचार्य एवं संत करेंगे पारित !

  • महाकुंभ में १ लाख प्रतियां वितरीत की जाएंगी !

प्रयागराज (उत्तरप्रदेश) – महाकुंभ में काशी के विद्वानों द्वारा तैयार की गई ‘हिन्दू आचारसंहिता’ शंकराचार्य, रामानुजाचार्य तथा संतों द्वारा पारित करने के उपरांत लोगों तक पहुंचाई जाएगी । ३१ जनवरी के उपरांत कभी भी इस संदर्भ में बैठक का आयोजन किया जाएगा । काशी विद्वत परिषद के दल ने १५ वर्षाें तक धार्मिक शास्त्रों का अध्ययन करने के उपरांत यह आचारसंहिता तैयार की है । ३०० पृष्ठोंवाली इस आचारसंहिता में हिन्दू समाज की अनिष्ट बातों के साथ ही विवाहव्यवस्था के संदर्भ में नियम बताए गए हैं । ३५१ वर्ष उपरांत पहली बार ही हिन्दुओं के लिए इस प्रकार की आचारसंहिता तैयार की गई है ।

१. अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि ११ वर्षाें के वैचारिक अध्ययन के उपरांत तथा धार्मिक ग्रंथों का ४ वर्षाें तक अध्ययन करने के उपरांत तथा पूरे देश के विद्वानों के दल ने काशी विद्वत परिषद के सहयोग से यह आचारसंहिता तैयार की है । महाकुंभ में आयोजित संत परिषद में शंकराचार्य, महामंडलेश्वर तथा संत उस पर अंतिम मुहर लगाएंगे तथा देश के लोगों को हिन्दू आचारसंहिता को स्वीकार करने का अनुरोध करेंगे ।

२. मौनी अमावस्या के उपरांत महाकुंभपर्व में वितरण करने हेतु पहली बार ही हिन्दू आचारसंहिता की एक लाख प्रतियां छापी जाएंगी । उसके उपरांत पूरे देश में ११ सहस्र प्रतियों का वितरण किया जाएगा ।

स्मृतियों एवं पुराणों को बनाया गया आधार तथा ४० बैठकें की गईं !

इस हिन्दू आचारसंहिता को कर्माभिमुख तथा कर्तव्याभिमुख बनाया गया है । इसमें मनुस्मृति, पराशर स्मृति एवं देवल स्मृति को आधार बनाकर स्मृतियोंसहित श्रीमद्भगवद्गीता, रामायण, महाभारत तथा पुराणों के महत्त्वपूर्ण भाग अंतर्भूत किए गए हैं । ७० विद्वानों के ११ संघों तथा ३ उपसंघों की स्थापना की गई । प्रत्येक संघ में दक्षिण एवं उत्तर के प्रत्येकी ५ विद्वान थे । ४० बैठकों के उपरांत इस आचारसंहिता का अंतिम प्रारूप तैयार किया गया ।

क्या है ‘हिन्दू आचारसंहिता’ में ?

काशी विद्वत परिषद के महासचिव प्रा. राम नारायण द्विवेदी ने कहा कि मनु, पराशर एवं देवल स्मृतियों के ३५१ वर्ष तक हिन्दू आचारसंहिता तैयार नहीं हुई अथवा उसमें संशोधन नहीं हुए । इस नई संहिता में अंतिमसंस्कार के भोजसत्रों की संख्या भी सुनिश्चित की गई है । विवाहों में होनेवाला अनावश्यक व्यय टालने सहित वैदिक परंपरा के अनुसार केवल दिन में ही विवाह संपन्न करने के निर्देश दिए गए हैं । विवाह में कन्यादान के अतिरिक्त दहेज को संपूर्णरूप से निषिद्ध माना गया है ।