मस्जिद का निर्माण पाकिस्तान के पहले प्रधान मंत्री लियाकत अली की पारिवारिक भूमि पर किया गया था
( ‘ शत्रु संपत्ति ‘ का मतलब देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान चले गए लोगों द्वारा भारत में छोड़ी गई संपत्ति है )
मुजफ्फरनगर (उत्तर प्रदेश) – यहां रेलवे स्टेशन के सामने बनी एक मस्जिद को जांच के बाद ‘शत्रु संपत्ति’ घोषित कर दिया गया है। पाकिस्तान के पहले प्रधान मंत्री लियाकत अली की पारिवारिक भूमि पर एक मस्जिद और ४ दुकानें बनाई गईं थी । इस संबंध में राष्ट्रीय हिन्दू शक्ति संगठन के संयोजक संजय अरोड़ा ने जिलाधिकारी अरविंद मल्लप्पा बंगाली से आपत्ति प्रविष्ट कराई थी । संजय अरोड़ा ने आपत्ति में कहा था कि ‘इस स्थान पर अवैध रूप से मस्जिद और दुकानें बनाई गई हैं । ‘ मुस्लिम पक्ष का दावा है कि यह संपत्ति साल १९३० में वक्फ के नाम पर प्राप्त की गई थी ।
१. इस मामले में आपत्ति के बाद उनकी जांच तत्कालीन कलेक्टर, डिप्टी कलेक्टर (राजस्व), सिटी मजिस्ट्रेट, सिटी चीफ ऑफिसर और नगर पालिका मुख्य अधिकारी द्वारा की गई थी । इसके बाद टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट दिल्ली स्थित ‘शत्रु संपत्ति’ कार्यालय को भेज दी । इसके बाद भारत सरकार के ‘शत्रु संपत्ति’ कार्यालय से एक टीम यहां सर्वे के लिए भेजी गई । दोनों पक्षों को सुनने के बाद टीम ने संपत्ति को शत्रु संपत्ति घोषित करने का आदेश जारी कर दिया ।
२. मुस्लिम पक्षकारों का कहना था कि संपत्ति वक्फ बोर्ड की है और खसरा नंबर ९३० पर दर्ज दुकानों का किराया वक्फ बोर्ड के पास जमा हो रहा है। इसके साथ ही जांच टीम को १० नवंबर १९३७ का एक पत्र भी दिया गया । इसके आधार पर उन्होंने दावा किया कि संपत्ति वक्फ बोर्ड में पंजीकृत है।
३. जांच के समय पता चला कि यह संपत्ति ‘शत्रु संपत्ति’ थी । सिटी मजिस्ट्रेट विकास कश्यप ने कहा कि संपत्ति के पक्षकारों को नोटिस दिया जाएगा और अगर नोटिस के पश्चात भी परिसर खाली नहीं किया गया तो कानूनी प्रक्रिया के अंतर्गत इसे खाली कराया जाएगा ।
संपादकीय भूमिकावहीं वास्तविक स्वतंत्रता के पश्चात तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस जमीन को ‘शत्रु की संपत्ति’ घोषित कर अधिकार में क्यो नही लिया ?, यह सवाल है । कांग्रेस की राष्ट्रविरोधी नीति के कारण भारत में कितनी समस्याएं पैदा हो गई हैं, इसका एक और उदाहरण ! |