सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘ईश्वर को देखने के लिए चष्मे की तथा ईश्वर के बोल सुनने के लिए कान में मशीन लगाने की आवश्यकता नहीं होती । उसके लिए केवल शुद्ध अंतःकरण की आवश्यकता होती है । प्रजावत्सल शासक वैसा ही होता है । उसे दुःखी जनता दिखाई देने के लिए चष्मे तथा जनता की समस्याएं सुनाई देने के लिए कान में मशीन लगाने की आवश्यकता नहीं होती ।’
✍ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ‘सनातन प्रभातʼ नियतकालिक