सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवलेजी के ओजस्वी विचार
‘अश्लील चलचित्र’, ‘पब’, ‘लिव इन रिलेशनशिप’ जैसी बातों को शासनकर्ताओं ने मान्यता दी । इससे राष्ट्र की जनता का चरित्र नष्ट हो रहा है । ‘रामराज्य’ और छत्रपति शिवाजी महाराज का ‘हिन्दवी स्वराज्य’ आदर्श था; क्योंकि वे राज्य चरित्रसंपन्न थे । वर्तमान शासनकर्ता यह ध्यान में रखकर ‘चरित्रसंपन्न राष्ट्र’ निर्माण करने का प्रयास करेंगे क्या ? भावी हिन्दू राष्ट्र (सनातन धर्म राज्य) चरित्रसंपन्न ही होगा ।’
✍️ – सच्चिदानंद परब्रह्म डॉ. जयंत आठवले, संस्थापक संपादक, ‘सनातन प्रभातʼ नियतकालिक